भारतीय इसरो 2023
भारतीय इसरो की महत्वपूर्ण जानकारी ?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत की अंतरिक्ष एजेंसी है। इस संगठन में भारत और मानव जाति के लिए बाह्य अंतरिक्ष के लाभों को प्राप्त करने के लिए विज्ञान, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी शामिल हैं। इसरो अंतरिक्ष विभाग (अं.वि.), भारत सरकार का एक प्रमुख घटक है। विभाग भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को मुख्य रूप से इसरो के तहत विभिन्न केंद्रों या इकाइयों के माध्यम से निष्पादित करता है।
इसरो।
पहले इसरो को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (इन्कोस्पार) के नाम से जाना जाता था, जिसे डॉ. विक्रम ए. साराभाई की दूरदर्शिता पर 1962 में भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था। इसरो का गठन 15 अगस्त, 1969 को किया गया था तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए विस्तारित भूमिका के साथ इन्कोस्पार की जगह ली। अं.वि. की स्थापना हुई और 1972 में इसरो को अं.वि. के तहत लाया गया।
इसरो/अं.वि. का मुख्य उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास और अनुप्रयोग है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, इसरो ने संचार, दूरदर्शन प्रसारण और मौसम संबंधी सेवाओं, संसाधन मॉनीटरन और प्रबंधन; अंतरिक्ष आधारित नौसंचालन सेवाओं के लिए प्रमुख अंतरिक्ष प्रणालियों की स्थापना की है। इसरो ने उपग्रहों को अपेक्षित कक्षाओं में स्थापित करने के लिए उपग्रह प्रक्षेपण यान, पी.एस.एल.वी. और जी.एस.एल.वी. विकसित किए हैं।
अपनी तकनीकी प्रगति के साथ, इसरो देश में विज्ञान और विज्ञान संबंधी शिक्षा में योगदान देता है। अंतरिक्ष विभाग के तत्वावधान में सामान्य प्रकार्य में सुदूर संवेदन, खगोल विज्ञान और तारा भौतिकी, वायुमंडलीय विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान के लिए विभिन्न समर्पित अनुसंधान केंद्र और स्वायत्त संस्थान हैं। इसरो के स्वयं के चंद्र और अंतरग्रहीय मिशनों के साथ-साथ अन्य वैज्ञानिक परियोजनाएं वैज्ञानिक समुदाय को बहुमूल्य आंकडे प्रदान करने के अलावा विज्ञान शिक्षा को प्रोत्साहित और बढ़ावा देते हैं, जो परिणामस्वरूप विज्ञान को बढ़ावा देता है।
इसरो का स्थान !
इसरो का मुख्यालय बेंगलूरु में स्थित है। इसकी गतिविधियाँ विभिन्न केंद्रों और इकाइयों में फैली हुई हैं। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वी.एस.एस.सी.), तिरुवनंतपुरम में प्रमोचक रॉकेट का निर्माण किया जाता है; यू. आर. राव अंतरिक्ष केंद्र (यू.आर.एस.सी.), बेंगलूरु में उपग्रहों की डिजाइन एवं विकास किया जाता है; सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एस.डी.एस.सी.), श्रीहरिकोटा में उपग्रहों एवं प्रमोचक रॉकेटों का समेकन तथा प्रमोचन किया जाता है; द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (एल.पी.एस.सी.), वलियमाला एवं बेंगलूरु में क्रायोजेनिक चरण के साथ द्रव चरणों का विकास किया जाता है; अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक), अहमदाबाद में संचार एवं सुदूर संवेदन उपग्रहों के संवेदकों तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग से संबंधित पहलुओं पर कार्य किया जाता है; राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एन.आर.एस.सी.), हैदराबाद में सुदूर संवेदन आँकड़ों का अभिग्रहण, प्रसंस्करण तथा प्रसारण किया जाता है।
इसरो की गतिविधियों का मार्गदर्शन इसके अध्यक्ष द्वारा किया जाता है, जो अं.वि. के सचिव और अंतरिक्ष आयोग - शीर्ष निकाय, जो नीतियों को तैयार करता है और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के कार्यान्वयन का निरीक्षण करता है, के अध्यक्ष भी होंगे।
पहले इसरो को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (इन्कोस्पार) के नाम से जाना जाता था, जिसे डॉ. विक्रम ए. साराभाई की दूरदर्शिता पर 1962 में भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था। इसरो का गठन 15 अगस्त, 1969 को किया गया था तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए विस्तारित भूमिका के साथ इन्कोस्पार की जगह ली। अं.वि. की स्थापना हुई और 1972 में इसरो को अं.वि. के तहत लाया गया।
इसरो/अं.वि. का मुख्य उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास और अनुप्रयोग है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, इसरो ने संचार, दूरदर्शन प्रसारण और मौसम संबंधी सेवाओं, संसाधन मॉनीटरन और प्रबंधन; अंतरिक्ष आधारित नौसंचालन सेवाओं के लिए प्रमुख अंतरिक्ष प्रणालियों की स्थापना की है। इसरो ने उपग्रहों को अपेक्षित कक्षाओं में स्थापित करने के लिए उपग्रह प्रक्षेपण यान, पी.एस.एल.वी. और जी.एस.एल.वी. विकसित किए हैं।
अपनी तकनीकी प्रगति के साथ, इसरो देश में विज्ञान और विज्ञान संबंधी शिक्षा में योगदान देता है। अंतरिक्ष विभाग के तत्वावधान में सामान्य प्रकार्य में सुदूर संवेदन, खगोल विज्ञान और तारा भौतिकी, वायुमंडलीय विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान के लिए विभिन्न समर्पित अनुसंधान केंद्र और स्वायत्त संस्थान हैं। इसरो के स्वयं के चंद्र और अंतरग्रहीय मिशनों के साथ-साथ अन्य वैज्ञानिक परियोजनाएं वैज्ञानिक समुदाय को बहुमूल्य आंकडे प्रदान करने के अलावा विज्ञान शिक्षा को प्रोत्साहित और बढ़ावा देते हैं, जो परिणामस्वरूप विज्ञान को बढ़ावा देता है।
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